‘ इतनी उदासीनता कहाँ से आती है ?’ - श्रवण गर्ग इन दिनों एक ‘ ग़ैर - ज़रूरी ’ बहस चल रही है। बहस मुफ़्त के सोशल मीडिया पर ज़्यादा है और हमारे समय के लब्ध - प्रतिष्ठित कवि, कथाकार और उपन्यासकार 88- वर्षीय विनोद कुमार शुक्ल पर केंद्रित है। बहस शुक्ल जी को हाल ही में ज्ञानपीठ पुरस्कार दिये जाने की घोषणा के साथ प्रारंभ हुई है। बहस के मूल में एक ऐसा सवाल है जो इस तरह के अवसरों पर कई बार पहले भी उठाया जा चुका है और आगे भी उठाया ...
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