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  गांधी   का   ख़ौफ़   है   कि   उन्हें   ख़त्म   करने   की   बार - बार   कोशिशें   होतीं   हैं  ! - श्रवण   गर्ग   राष्ट्रपिता   की   छाती   को   गोलियों   से   छलनी   कर   देने   और   उसके   बाद   अंबाला   सेंट्रल   जेल   में   फाँसी   पर   लटकाए   जाने   की   अवधि   के   बीच नाथूराम    गोडसे   एक   वर्ष   नौ   महीने   सोलह   दिन   इसी   यक़ीन   के   साथ   जीवित   रहा   कि   उसने   गांधी   को   अंतिम   रूप   से   देश   और   दुनिया   से समाप्त  कर   दिया   है   ।गोडसे   परिवार   के   जो   भी   सदस्य   नाथूराम   से   इन  655  दिनों   के   दौरान   अंबाला   सेंट्रल   जेल   में   मिले   होंगे   उसे   यही यक़ीन  दिलाते   रहे   होंगे   कि  ( तब )  तैंतीस   करोड़   की   जनसंख्या   वाले   आज़ाद   भारत   में   केवल   कुछ   अनुयायियों   के   अलावा   गांधी   का   कोई और    नामलेवा   नहीं   बचा   है।गांधी   के   शरीर   के   साथ   उसका   विचार   भी   नेस्तनाबूत   किया   जा   चुका   है।अपनी   इस   उपलब्धि   को   लेकर   गोडसे को  निश्चित   ही   गर्व   की   अनुभूति   होती   होगी।   पंद्रह   नवम्बर  1