// इस दौरान : मेरी एक नई कविता // कब निकलेगा देश यात्रा पर अपनी ? - श्रवण गर्ग इससे पहले कि थक जाए यात्री निकलना होगा देश को यात्रा पर ! सौंप दिए हैं पैर अपने यात्री ने सब के बदले नहीं पड़ेगा चलना ज़्यादा सबको थामने सैलाब आंसुओं के बह रहे हैं जो सालों से चुपचाप सड़कों के दोनों बाजुओं पर ! सदियों में होती है ऐसी एक यात्रा आदि शंकराचार्य की माटी से बद्री - केदार के मंगल स्वरों की ओर ! दिलाना पड़ता है याद लोगों को उनका निर्मल अतीत , निर्मम यातनाएँ हो जाता है दिल भी हल्का रो लेने से सामने सबके फूटने लगतीं हैं कोपलें भी ज़मीनों से , करार दी गईं हैं जो बंजर बही - खातों में सरकारों के ! नहीं देखना पड़ेगा दूर तक ज़्यादा गिन रहा है यात्री सबके लिए सूई के छेद से पीड़ाओं के पहाड़ तैरने लगेंगी सामने आँखों के — अतृप्त आत्माएँ तमाम चली
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ईश्वर उपस्थित है ! स्पर्श पाने के लिए श्रद्धा चाहिए ! - श्रवण गर्ग अमेरिका में ईस्ट कोस्ट पर स्थित वर्जीनिया के एक स्कूल के कोई सौ बच्चों ने आठ हज़ार मील दूर मनवाधिकारों की रक्षा की लड़ाई लड़ने के आरोप में चीनी सरकार द्वारा सख़्त पहरे के बीच हॉंगकॉंग की एक जेल में अगस्त 2020 से बंद एक अरबपति मीडिया मालिक को अपने आत्मीय समर्थन के पोस्टकार्ड लिखकर भेजे हैं। बच्चे मीडिया मालिक को नहीं जानते हैं। मीडिया मालिक धार्मिक वृत्ति के हैं और ईश्वर की उपस्थिति में गहरा यक़ीन रखते हैं। मीडिया मालिक पर आरोप हैं कि उन्होंने हांगकांग में चल रहे चीन से आज़ादी के आंदोलन के दौरान बीजिंग के तियानमेन स्क्वायर पर साल 1989 में (15 अप्रैल से 4 जून तक ) हुए विशाल छात्र - विद्रोह के शहीदों की स्मृति में मोमबत्ती जलकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की थी। मीडिया उद्योगपति हॉंगकॉंग क