क्या पेट की ज़रूरत राहुल के लोकतंत्र पर भारी पड़ गई ? - श्रवण गर्ग महाराष्ट्र चुनावों में ‘ महाविकास अघाड़ी ’ की चौंकानेवाली ‘महा पराजय और ‘ महायुति ’ की ‘ महाविजय ’ को न तो भाजपा ने लोकतंत्र की जीत बताया है और न ही कांग्रेस ने उसे लोकतंत्र को एक धक्के के रूप में व्यक्त करने का साहस दिखाया है। कोई भी गठबंधन सामूहिक रूप से मानने को तैयार नहीं है कि ‘ मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना ’ के तहत हर माह बाँटी जाने वाली सिर्फ़ पंद्रह सौ रुपए की राशि ने इतना बड़ा उलटफेर कर दिया। प्रधानमं...
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‘क्यों जाना चाहते हो यात्रा पर तुम फिर भी .….?’ -श्रवण गर्ग जिस रेगिस्तान की तलाश है तुम्हें तुम्हारे भीतर ही बसा है ! मैं जानता हूँ जाओगे फिर भी तलाश करने उसकी भोगने चिलचिलाती धूप में उसे नंगे पैरों से, नंगी आँखों से ! पार करोगे जैसे ही देहरी घर की तुम छूटेगा सबसे पहले वह पहाड़ खेलते रहे हो गोद में जिसकी जीवन भर ! फिर करेगी पीछा तुम्हारा नदी ! छोड़ने जाएगी तुम्हें आंसुओं की नाव लेकर गाँव की सरहद तक ! घेर लेंगे फिर तुम्हें बड़े-घने जंगल हर दिशा से चीरते हुए पसलियाँ तुम्हारी टकराने लगेंगे आकाश छूते पेड़ आपस में देखकर तुमको अकेला ! भभकने लगेगी आग चारों तरफ़ तपने लगेगा जंगल तुम्हारी आत्मा का याद आएगी तब नदी बहुत छूटा हुआ पहाड़,घर की देहरी के पार ! जीना चाह रहे हो जो रेगिस्तान अपने में समाया हुआ है भीतर ही तुम्हारे पसरा हुआ है नदी के दोनों पाटों पर क्यों जाना चाहते हो फिर भी यात्रा पर ! छोड़कर पहाड़ को यूँ अकेला ? पूछना तो तुम्हारा भी सही ही होगा : ‘कैसे खोजे गये होंगे रेगिस्तान...